Uttar Pradesh

Kanpur: अवसाद में छात्रा ने बिल्डिंग से छलांग लगाई, सुसाइड नोट में ज़िंदगी से हारने का दर्द बयां

Published

on

Kanpur के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय में बीकॉम ऑनर्स की प्रथम वर्ष की छात्रा ने अर्थशास्त्र का पेपर खराब होने के बाद बिज़नेस मैनेजमेंट भवन की पहली मंजिल से छलांग लगा दी। घटना की जानकारी मिलते ही विश्वविद्यालय के निदेशक प्रो. सुधांशु पांडिया और अन्य स्टाफ ने छात्रा को तत्काल निजी एंबुलेंस से हैलट अस्पताल में भर्ती कराया और उसके परिजनों को सूचित किया।

सुसाइड नोट में लिखा दर्द
छात्रा के पास से दो सुसाइड नोट बरामद हुए हैं—एक माता-पिता के नाम और दूसरा बॉयफ्रेंड के नाम। नोट में छात्रा ने ज़िंदगी से निराशा और अपने टूटे हुए दिल की बात लिखी।

बॉयफ्रेंड को लिखा, “तुम बिन जी न सकूंगी…”
छात्रा ने लिखा, “मैं प्यार के लायक नहीं हूं, बदसूरत हूं, लेकिन तुम्हारे बिना जीना मुमकिन नहीं। तुम मेरी जिंदगी की वजह थे। तुम्हारे लिए मैं हर दुख सहने को तैयार थी। मुझे खुशी है कि तकदीर ने तुमसे मिलवाया। तुम मेरी आखिरी उम्मीद थे, लेकिन तुमने भी मुझे सहारा देकर गिरा दिया। दुख इस बात का है कि आखिरी बार तुम्हें जी भर के देख नहीं सकी।”

माता-पिता से मांगी माफी
दूसरे नोट में उसने माता-पिता से माफी मांगते हुए लिखा, “मम्मी-पापा, मुझे माफ करना। मैं आप पर बोझ बन गई। आपने मुझे झेला, लेकिन मैं कभी आपकी अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतर सकी। मैंने आपका प्यार पाने की बहुत कोशिश की, लेकिन आपकी उम्मीदें हमेशा बढ़ती रहीं। मैंने संगीत, इच्छाएं सब त्याग दिया, लेकिन आपकी नजरों में बेटी की तरह कभी खुद को देख नहीं पाई।”

अर्थशास्त्र का पेपर खराब होना बना वजह
छात्रा की मां ने बताया कि अर्थशास्त्र का पेपर खराब होने के कारण वह अवसाद में थी। शुक्रवार को उसका अंतिम पेपर था। परीक्षा के दौरान, छात्रा ने उत्तर पुस्तिका जमा की और पहली मंजिल से छलांग लगा दी।

डॉक्टरों का बयान
हैलट अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि छात्रा की स्थिति फिलहाल स्थिर है। उसका एक्स-रे और एमआरआई कराया गया है।

विश्वविद्यालय प्रशासन की प्रतिक्रिया
विश्वविद्यालय प्रशासन ने घटना पर दुख जताया है और छात्रा को हरसंभव चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। साथ ही, छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य सहायता के लिए काउंसलिंग कार्यक्रम शुरू करने की बात कही गई है।

समाज के लिए संदेश
यह घटना बताती है कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और भावनात्मक समर्थन कितना आवश्यक है। विद्यार्थियों को दबाव में लाने के बजाय उनके प्रयासों की सराहना करनी चाहिए। शिक्षक और परिवार को भी उनकी समस्याओं को समझने का प्रयास करना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version