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बैठक के बाद सीएम मान का बयान- आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस लेने पर बनी सहमति

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किसानों के साथ बैठक के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान का बड़ा बयान सामने आया है। मुख्यमंत्री मान ने कहा कि किसान संगठनों के साथ बैठक हुई. बैठक में केंद्र के तीन मंत्री पीयूष गोयल, कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद भी पहुंचे. किसानों के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा हुई।

मुख्यमंत्री मान ने कहा कि बैठक में कई पक्ष रखे गए और किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने को लेकर आम सहमति बनी है। उन्होंने कहा कि बातचीत बहुत अच्छे माहौल में हुई और केंद्रीय मंत्रियों ने किसानों की मांगों पर विचार करने की सैद्धांतिक अनुमति दे दी। सीएम मान ने कहा कि अनाज उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए नकली बीज या नकली दवा या स्प्रे बनाने वाली कंपनियों को कड़ी सजा देने पर भी चर्चा हुई और धान की पराली जलाने के मुद्दे पर भी जोरदार चर्चा हुई।

सीएम मान ने कहा कि केंद्र से किसानों की मांगों को लेकर हुई बैठक में मैंने बतौर मुख्यमंत्री, वकील के तौर पर किसानों का पक्ष रखा. हम नहीं चाहते कि हमारे किसानों को अपनी मांगें मनवाने के लिए फिर से ट्रैक्टरों के साथ बैरिकेड का सामना करना पड़े। मुख्यमंत्री ने किसानों के मुद्दों को मजबूती से रखते हुए फसलों पर एमएसपी जारी रखने पर जोर दिया और कहा कि किसानों के हितों की रक्षा करना समय की प्रमुख जरूरत है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य वापस लेना केवल उन अर्थशास्त्रियों की अटकलें हैं जो जमीनी हकीकत पर विचार किए बिना अपने कार्यालयों में बैठे हैं। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य को बंद करने का ऐसा कोई भी कदम देश की खाद्य सुरक्षा को खतरे में डाल देगा और किसी भी तरह से देश के हित में नहीं होगा।


एक अन्य मुद्दे पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने देश में फसल विविधता को बढ़ावा देने पर भी जोर दिया क्योंकि यह लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगा। उन्होंने कहा कि आज भारत मोजाम्बिक जैसे देशों से दालें आयात करता है, लेकिन अगर किसानों को लाभकारी मूल्य मिले तो वे इन दालों का उत्पादन यहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे जहां देश को फायदा होगा वहीं किसान धान के चक्र से बाहर निकलेंगे और राज्य का कीमती पानी भी बचेगा।

मुख्यमंत्री ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए केंद्र और किसानों को धन्यवाद दिया और कहा कि इन मुद्दों के समाधान के लिए यह सही और उचित मंच है। उन्होंने कहा कि हम भी इन मुद्दों पर आंदोलन नहीं चाहते बल्कि बातचीत के जरिए मसले का हल निकलना चाहिए. उन्होंने उम्मीद जताई कि किसानों और जनता के हित में इस तरह की चर्चाएं भविष्य में भी जारी रहेंगी।

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