Punjab
Bhagwant Mann ने वित्त आयोग अध्यक्ष से बढ़ते की Subsidy के बोझ के चलते की मुलाकात
22 और 23 जुलाई को 16वें वित्त आयोग के आगमन के चलते पंजाब की आर्थिक स्थिति खराब होने से पंजाब सरकार के अधिकारियों और मंत्रियों की स्थिति को लेकर चिंता की लकीरें उभरने लगी हैं। वह बिंदु जहां राज्य की सारी उम्मीदें वित्त आयोग पर हैं कि वह उन्हें क्या देता है। वहीं वित्त आयोग के अध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के बारे में तो सभी जानते हैं, जो देश के जाने-माने अर्थशास्त्री रहे हैं और नीति आयोग के उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं, जिसे मोदी सरकार ने भंग कर दिया था| उन्हें स्वतंत्र राजवंशों का विरोधी माना जाता है। ऐसे में पंजाब सरकार के लिए चिंता की बात यह है कि पंजाब में चल रही मुफ्त बिजली, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा और आटा-दाल जैसी योजनाओं में सबसे ज्यादा पैसा Subsidy पर खर्च हो रहा है |
ऐसे में राज्य की खराब हालत में वित्त आयोग कोई मदद करेगा या पिछले आयोग द्वारा दिए गए राजस्व घाटा अनुदान को इस बार बढ़ाएगा, इन सभी आशंकाओं के बीच पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कल पनगढ़िया से मुलाकात की है . इस बैठक के ब्यौरे के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिल पाई है, लेकिन चर्चा है कि 22 जुलाई को होने वाली बैठक में पंजाब की ओर से दिए जाने वाले मांग पत्र पर विचार करने के लिए यह बैठक की गई है|
मुख्यमंत्री ने उन्हें पंजाब की आर्थिक स्थिति से अवगत कराया और राज्य के लिए राजस्व घाटा अनुदान की मांग की. यह भी पता चला है कि आयोग के साथ बैठक से पहले मुख्यमंत्री वित्त विभाग के अधिकारियों द्वारा तैयार किये गये ज्ञापन पर विचार करने के लिए भी बैठक करेंगे. हालांकि पहले यह बैठक 16 जुलाई यानी आज होनी थी, लेकिन मुख्यमंत्री के वित्त आयोग के अध्यक्ष से मिलने दिल्ली जाने के कारण बैठक को 15 जुलाई के लिए टाल दिया गया था. फिलहाल वित्त विभाग अन्य विभागों के साथ बैठक कर मांग पत्र तैयार करने में जुटा है|
एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि चूंकि पंजाब सरकार प्रत्येक वर्ग को अधिकतम सब्सिडी दे रही है, इसलिए आयोग अधिक वित्तीय मदद नहीं दे पाएगा क्योंकि बैठक के दौरान अधिकारी यह सवाल कर सकते हैं कि क्या राज्य सरकार प्रत्येक वर्ग को अधिक सब्सिडी दे रही है। से अधिक सब्सिडी दे रही है | यह गरीबों को सब्सिडी दे रही है जबकि केवल वंचित वर्ग ही सब्सिडी का हकदार है। उन्होंने यह भी कहा कि वह यह सवाल दूसरे राज्यों से भी पूछ रहे हैं|
गौरतलब है कि कल हिमाचल प्रदेश द्वारा आयकरदाताओं से मुफ्त बिजली वापस लेने के फैसले को भी इसी दिशा में देखा जा रहा है. वित्त आयोग ने अब तक जिन राज्यों के साथ बैठकें की हैं, उनमें सब्सिडी को लेकर नाराजगी जताई गई है. हिमाचल प्रदेश की तरह, पंजाब ने वाणिज्यिक क्षेत्र को छोड़कर समाज के हर वर्ग को मुफ्त या सब्सिडी वाली बिजली प्रदान की है।
किसानों को खेती के लिए पहले से ही मुफ्त बिजली दी जा रही है। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने उद्योगों को 5 रुपये प्रति यूनिट बिजली दी और अब सत्ता में आने के बाद आम आदमी पार्टी ने घरेलू क्षेत्र को 300 यूनिट बिजली मुफ्त दी है। यानी पंजाब सिर्फ बिजली सब्सिडी पर 20 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रहा है|
इसी प्रकार, सामाजिक सुरक्षा पेंशन पर 4800 करोड़ रुपये और महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा पर 600 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी जा रही है। जबकि जीएसटी से राज्य की कुल आय केवल 20 हजार करोड़ रुपये है, यानी पंजाब अपनी आय के सबसे बड़े स्रोत से अधिक बिजली और अन्य सब्सिडी दे रहा है।