Punjab
गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित का बयान- मामले को राष्ट्रपति के पास भेजने के लिए मजबूर न करें
जालंधर : पंजाब के राज्यपाल ने पंजाब सरकार द्वारा भेजे 3 धन बिलों को विधानसभा में पेश करने के लिए अनुमति देने से इंकार कर दिया है। आज मुख्यमंत्री को लिखे एक पत्र में पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने कहा कि उन्होंने पहले से ही 24 जुलाई और बाद में 12 अक्तूबर के पत्र के माध्यम से संकेत दिया था कि इस प्रकार से सत्र बुलाना स्पष्ट रूप से अवैध था। राज्यपाल ने कहा कि अगर पंजाब सरकार इन बिलों को पास करवाना चाहती है तो वह शीतकालीन सत्र में उन्हें ला सकती है। साथ ही राज्यपाल ने सख्त शब्दों में कहा कि अगर सरकार स्पष्ट रूप से 20 अक्तूबर को होने वाले सत्र को जारी रखने पर अड़ी रहती है तो वह इस मामले को भारत के राष्ट्रपति के पास भेजने और उचित कार्रवाई करवाने पर मजबूर हो जाएंगे।
20 अक्तूबर को होने वाले पंजाब विधानसभा के सत्र को लेकर संशय बना हुआ है। राज्यपाल इस सत्र को अवैध करार दे चुके हैं और पंजाब सरकार इसे वैध बता रही है। इस सत्र में पेश किए जाने वाले 3 धन बिलों को सदन में पेश करने के लिए राज्यपाल की अनुमति जरूरी है परंतु राज्यपाल ने अनुमति देने से इंकार कर दिया है। ये तीन बिल-पंजाब राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2023, पंजाब माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक 2023 और भारतीय स्टाम्प (पंजाब संशोधन) विधेयक 2023 हैं।
राज्यपाल ने अपने पत्र में कहा है, ”मुझे 20 अक्तूबर से 16वीं पंजाब विधानसभा के चौथे बजट सत्र के विशेष सत्र में प्रस्तुति के लिए मेरी मंजूरी हेतु भेजे गए धन विधेयक प्राप्त हुए हैं। मैंने पहले ही 24 जुलाई और 12 अक्तूबर 2023 के पत्रों के माध्यम से संकेत दिया है कि इस तरह के सत्र को बुलाना अवैध है। जैसे ही बजट सत्र समाप्त हुआ, ऐसा कोई भी विस्तारित सत्र अवैध होना निश्चित है और ऐसे सत्रों के दौरान आयोजित कोई भी व्यवसाय गैर कानूनी और शुरू से ही शून्य होने की संभावना है। इनके बावजूद, असंवैधानिक कदम उठाने की संभावना को नजरअंदाज करते हुए, ऐसा प्रतीत होता है कि सत्र बुलाने का निर्णय लिया गया है। इन कारणों से मैं उपर्युक्त विधेयकों पर अपनी मंजूरी रोक रहा हूं।”
शीतकालीन सत्र बुला सकती है सरकार
मुझे यह बताना होगा कि सत्र की निरंतरता को जारी रखने की बजाय आप नया मानसून/शीतकालीन सत्र बुलाने के कानूनी रूप से सही विकल्प का लाभ उठा सकते हैं। मैं दृढ़तापूर्वक सुझाव देता हूं कि आप शीतकाल सत्र का सहारा लें। यदि सरकार की विधानसभा सत्र आयोजित करने की इच्छा है तो पारित किए जाने वाले विधेयकों सहित विशिष्ट व्यवसाय को निर्धारित करने वाला एक एजैंडा या कार्यक्रम तैयार करना और आगे बढ़ाना उचित और उपयुक्त होगा, जिसमें अनुरोध किया जाएगा कि उक्त कामकाज निपटाने के लिए शीतकालीन सत्र बुलाया जाए। एक बार यह होने पर इसके लिए अनुमति दे दी जाएगी। यदि सरकार स्पष्ट रूप से अवैध सत्र को जारी रखने पर अड़ी रही तो मैं भारत के राष्ट्रपति को मामले की रिपोर्ट करने सहित उचित कार्रवाई पर विचार करने के लिए मजबूर हो जाऊंगा।