Haryana
Haryana में गरीबों की संख्या बढ़ने पर सियासी संग्राम, कांग्रेस गरीबों की संख्या बढ़ने को बता रही भाजपा का चुनावी खेल- हुड्डा
Haryana में बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) श्रेणी में आने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में 75 लाख नए लोग बीपीएल श्रेणी में शामिल हुए हैं। अब राज्य में बीपीएल श्रेणी के लोगों की कुल संख्या 1.98 करोड़ तक पहुंच चुकी है, जो प्रदेश की कुल आबादी का लगभग 70% है।
कांग्रेस ने उठाए सवाल, सीबीआई जांच की मांग
कांग्रेस ने राज्य में बढ़ती गरीबी पर सवाल उठाते हुए इसे सरकारी नीतियों की विफलता करार दिया है। पार्टी ने इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने आरोप लगाया कि सरकार ने चुनाव से पहले बीपीएल की संख्या बढ़ाने के लिए आंकड़ों में हेरफेर की है।
भाजपा ने बताया अपनी उपलब्धि
वहीं, भाजपा ने इसे अपनी उपलब्धि बताते हुए कहा कि गरीबों को पहचानकर सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। भाजपा विधायक धनेश अदलखा ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में बीपीएल आय सीमा 1.20 लाख रुपये वार्षिक थी, लेकिन जरूरतमंदों को कार्ड जारी नहीं किए गए।
भाजपा सरकार ने आय सीमा बढ़ाकर 1.80 लाख रुपये वार्षिक की और फर्जी कार्ड रद्द कर दिए।
अदलखा ने दावा किया कि इससे वास्तविक जरूरतमंदों को योजनाओं का लाभ मिला, जिसे कांग्रेस पचा नहीं पा रही।
बीपीएल के लाभ और योजनाएं
बीपीएल कार्ड धारकों को सरकारी योजनाओं के तहत कई लाभ मिलते हैं:
- प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज, हर महीने 40 रुपये में 2 लीटर सरसों का तेल, और 13.5 रुपये में 1 किलो चीनी।
- परिवार पहचान पत्र (PPP) के माध्यम से 24 से अधिक सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ।
आंकड़ों की सच्चाई पर सवाल
खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री राजेश नागर ने कहा कि बीपीएल सूची सेल्फ-डिक्लेयर्ड आय पर आधारित है, जिससे गलत जानकारी देकर कई लोग लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने आय जांच प्रक्रिया लागू करने की बात कही है ताकि योजनाओं का लाभ केवल वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचे।
प्रदर्शन बनाम हकीकत
मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने विधानसभा में प्रदेश में बेरोजगारी दर केवल 4% होने का दावा किया।
विपक्ष ने इसे खारिज करते हुए सरकार पर गरीबी के आंकड़ों को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया।
भाजपा ने दावा किया कि योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से गरीबों की स्थिति में सुधार हो रहा है।
सियासी आरोप-प्रत्यारोप जारी
कांग्रेस का कहना है कि गरीबों की बढ़ती संख्या सरकार की विफलता का प्रमाण है, जबकि भाजपा इसे गरीबों तक योजनाओं की पहुंच का नतीजा बता रही है।