Haryana

कम बारिश के चलते Haryana में धान की फसल हो सकती है प्रभवित, कई जिलों में सूखे के हालात पैदा हो चुके

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इस साल उत्तर भारत में मानसून के मौसम में पर्याप्त बारिश नहीं हुई, जिससे हरियाणा के कई इलाकों में सूखे जैसे हालात बन गए हैं। बारिश की कमी के कारण भूमिगत जल स्तर और भी कम हो गया है। पंजाब और Haryana में 29 जून से 29 जुलाई तक सामान्य से 75% कम बारिश हुई। इसका असर धान की फसल पर पड़ा है, जिसे नियमित रूप से पानी देने की जरूरत होती है।

आमतौर पर फसल को कुछ पानी बारिश से मिलता है और बाकी पानी किसान ट्यूबवेल से देते हैं। लेकिन, इस साल फसल को पर्याप्त बारिश नहीं हुई, जिससे परेशानी हो रही है। किसानों को अपनी फसलों को पानी देने के लिए पहले से ज्यादा पैसे और मेहनत खर्च करनी पड़ रही है और पिछले 15 सालों में उन्होंने ऐसे मुश्किल हालात नहीं देखे हैं।

ट्यूबवेल से पर्याप्त पानी नहीं मिलने के कारण किसानों की फसलें सूखने लगी हैं। भूमिगत जल स्तर नीचे चले जाने के कारण ट्यूबवेल पर्याप्त पानी नहीं दे रहे हैं। हरियाणा में 10 लाख से ज्यादा किसान अपनी धान की फसल के लिए बारिश के पानी पर निर्भर हैं।

हरियाणा में खेतों की देखभाल में मदद करने वाले डॉ. आदित्य डबास ने बताया कि पिछले कुछ सालों में बारिश का मौसम आमतौर पर 29 जून से 29 जुलाई तक रहता है। इस साल पंजाब और हरियाणा में बहुत कम बारिश हुई है, जो सामान्य से लगभग 75% से 80% कम है। उदाहरण के लिए, यमुनानगर में पिछले साल इस दौरान 630 मिमी बारिश हुई थी, लेकिन इस साल केवल 135 मिमी बारिश हुई है।

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