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Haryana का ब्लेड रनर दिलबाग ने थाईलैंड में जीता गोल्ड, पैरालंपिक में देश के लिए मेडल लाने का सपना

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Haryana के खिलाड़ी न सिर्फ प्रदेश में बल्कि विदेशों में भी अपनी पहचान बना रहे हैं। ऐसी ही एक प्रेरणादायक कहानी है हिसार के गांव कालवास के ब्लेड रनर दिलबाग की। दिलबाग ने थाईलैंड में आयोजित एबिलिटी स्पोर्ट्स यूथ गेम्स में 17.57 सेकंड में दौड़ पूरी कर गोल्ड मेडल जीता। उनकी शानदार परफॉर्मेंस ने सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।

कैसे बने ब्लेड रनर?
दिलबाग ने बताया कि उन्होंने 2021 में ब्लेड लगाकर दौड़ना शुरू किया। यह ब्लेड एक परिचित ने अमेरिका से मंगवाकर उन्हें गिफ्ट किया था। साढ़े पांच साल की उम्र में एक हादसे में उन्होंने अपना एक पैर खो दिया था। खेत से घर लौटते समय उन्हें एक गाड़ी ने टक्कर मार दी थी। दूसरों को दौड़ते देख उनमें भी दौड़ने की चाह पैदा हुई। पहले उन्होंने एक पैर से दौड़ना शुरू किया, लेकिन उनका सपना दोनों पैरों पर दौड़ने का था।

अमेरिका से ब्लेड मंगवाने के बाद उन्होंने कड़ी मेहनत और अभ्यास से दौड़ना शुरू किया। आज उनकी मेहनत का नतीजा है कि उन्होंने एक गोल्ड सहित कुल दो पदक अपने नाम किए हैं।

पैरालंपिक का सपना
दिलबाग का कहना है कि वह रोजाना गांव से गिरी सेंटर में प्रैक्टिस के लिए जाते हैं। उनका अगला लक्ष्य पैरालंपिक में देश के लिए गोल्ड मेडल जीतना है।

परिवार का समर्पण
दिलबाग के पिता लीलूराम ने बताया कि पहले वह फर्नीचर का काम करते थे, लेकिन अब अपने बेटे को गिरी सेंटर लाने-ले जाने में पूरा समय देते हैं। दिलबाग ने स्कूली स्तर पर ट्राई साइकिल, व्हीलचेयर, और शॉट पुट में भी हिस्सा लिया था और स्टेट लेवल पर गोल्ड मेडल जीता। अब पिता का सपना है कि उनका बेटा पैरालंपिक में देश का नाम रोशन करे।

एक प्रेरणा बनी कहानी
दिलबाग की कहानी संघर्ष और आत्मविश्वास का जीता-जागता उदाहरण है। अपनी मेहनत और जज़्बे से उन्होंने यह साबित कर दिया कि किसी भी चुनौती को मजबूत इरादों से हराया जा सकता है। उनकी सफलता हर युवा के लिए प्रेरणास्रोत है।

Editor Two

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