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प्रदेश में चंद लोग ही पार्टी के ऊंचे पदों पर हैं, जबकि पार्टी का आम कार्यकर्ता रीढ़ की हड्डी है: सैलजा

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चंडीगढ़ : तीन राज्यों में मिली हार के बावजूद भी प्रदेश कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष उदयभान, एसआरके गुट के नाम से मशहूर शैलजा, रणदीप व किरण अपनी अपनी डफली अपना अपना राग अलाप रहे हैं। पिछले दिनों रोहतक में शैलजा ने भी स्पष्ट कहा कि प्रदेश में चंद लोग ही पार्टी के अच्छे ऊंचे पदों पर है, जबकि पार्टी का आम कार्यकर्ता रीढ की हड्डी है।कांग्रेस की गुट बाजी दिन ब दिन बढ़ती हुई जनता देख रही है।

हाल ही में तीन दिवसीय पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा व प्रदेश अध्यक्ष उदयभान ने चंडीगढ़ में आंकड़ों सहित भारतीय जनता पार्टी पर करारा हमला बोलते हुए देश भर में प्रत्येक मामले में अव्वल रहने वाले हरियाणा प्रदेश को पिछड़ा बनाने का आरोप भाजपा पर लगाया। उन्होंने कहा कि पहले प्रति व्यक्ति आय, रोजगार ,विकास ,राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में पदक जीतने के मामलों सहित सभी मामलों में हरियाणा प्रदेश में नंबर वन था। ऐसे आरोप लगाकर भाजपा से सवाल कर रहे थे।  

वहीं दूसरी ओर कुमारी शैलजा रणदीप सुरजेवाला व किरण चौधरी हुड्डा के गढ़ रोहतक में भारतीय जनता पार्टी से सवाल करने के बजाय परोक्ष और अपरोक्ष रूप से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा पर ही सवाल दागते नजर आए। इस दौरान कुमारी शैलजा ने जहां विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जता अपने इरादे स्पष्ट  कर दिए हैं,  कि आने वाले विधानसभा चुनाव में वे भी मुख्यमंत्री की दावेदार हो सकती हैं। हालांकि उन्होंने इस बात का खंडन किया कि कांग्रेस पार्टी की हमेशा से परंपरा रही है कि मुख्यमंत्री का चेहरा चुनाव के बाद घोषित किया जाता है।  यह सारी प्रक्रिया पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे, सोनिया गांधी, राहुल गांधी तथा प्रियंका गांधी के दिशा निर्देश के बावजूद अमल में लाई जाती है। उन्होंने कहा कि पार्टी द्वारा उन्हें जो भी आदेश दिया जाएगा, वह उसे एक सच्ची सिपाही की तरह मानती हैं। इस दौरान शैलजा ने कहा कि प्रदेश में चंद लोग ही पार्टी के अच्छे ऊंचे पदों पर हैं, जबकि पार्टी का आम कार्यकर्ता जो की पार्टी की रीढ की हड्डी है। जिसके दम पर पार्टी खड़ी है उसको आज तक कोई भी किसी भी प्रकार की पहचान नहीं मिल पाई है। इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष  रहने के बावजूद भी प्रदेश में संगठन ना बनाने का मलाल रहा और उन्होंने यह कबूल किया कि पिछला लंबे समय उत्तर प्रदेश में संगठन नहीं बन पाई है। 

इस दौरान रणदीप सुरजेवाला में किरण चौधरी ने भी अपने विचार व्यक्त किया। अब सवाल उठता है कि जिस प्रकार से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के चलते राजस्थान, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल  और टीएस सिंह देव की आपसी कलह की वजह से छत्तीसगढ़ इसी प्रकार मध्य प्रदेश में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, जीतू पटवारी तीनों के आपसी टकराव के चलते राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे दो राज्यों से कांग्रेस पार्टी को सत्ता गवानी पड़ी है।  वहीं मध्य प्रदेश की सत्ता में वापसी  के लिए सॉफ्ट कॉर्नर करने वाले राज्य से भी हाथ धोना पड़ा है। ऐसे में क्या आने वाले विधानसभा चुनाव में इन नेताओं की आपसी गुटबाजी की बदौलत कहीं हरियाणा भी उनके हाथ से फिर से निकल न जाए।

Editor One

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