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महामंदी की चपेट में आया चीन, चरम पर बेरोजगारी, लोगों को ढूंढे नहीं मिल रही नौकरी
बिजनेस डेस्कः चीन (China) लंबे समय से ग्लोबल ग्रोथ का इंजन रहा है। दुनिया की यह सबसे बड़ी इकॉनमी दुनिया की फैक्ट्री के नाम से जानी जाती है लेकिन अब चीन का हाल बेहाल है। चीन की इकॉनमी में आई सुस्ती ने ग्लोबल लीडर्स और इन्वेस्टर्स को चिंता में डाल दिया है। चीन के शेयर बाजार में लगातार गिरावट आ रही है। विदेशी कंपनियां चीन से अपना बिजनेस समेट कर भाग रही हैं। विदेशी निवेशकों ने भी अपने हाथ पीछे खींच लिए हैं। कोरोना काल के बाद जब लॉकडाउन हटा तो चीन में रियल एस्टेट संकट गहरा गया। वहां की जनता बेरोजगारी और मंहगाई से जूझ रही है। लोग नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे हैं। चीन में अब बेरोजगारों की फौज खड़ी होती जा रही है।
बढ़ रहा श्रमिकों का प्रदर्शन
चीन में आर्थिक हालात तेजी से खराब हो रहे हैं। चीन आर्थिक महामंदी में फंसाता जा रहा है। चीन की अर्थव्यवस्था पर अब इसका असर दिखने लगा है। चीन में श्रमिक विरोध-प्रदर्शन तेजी से बढ़ गए हैं, खासकर पिछले सप्ताह के अंत में शुरू हुए चंद्र नव वर्ष से पहले। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, न्यूयॉर्क स्थित अंतर्राष्ट्रीय अधिकार समूह फ्रीडम हाउस के चीन में विरोध-प्रदर्शनों पर नज़र रखने वाले चाइना डिसेंट मॉनिटर द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2022 की समान अवधि की तुलना में 2023 की चौथी तिमाही में श्रमिकों का विरोध-प्रदर्शन तीन गुना से ज्यादा हो गया है। श्रमिकों का विरोध अक्सर वेतन विवाद और व्यावसायिक सुरक्षा से जुड़ा होता है।
3 दशक में सबसे खराब हालात
दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी इकॉनमी चीन को भी कई मोर्चों पर संघर्ष करना पड़ रहा है। देश में बेरोजगारी चरम पर है, लोग खर्च करने के बजाय बचत करने में लगे हैं। रियल एस्टेट गहरे संकट में है। विदेशी कंपनियां और निवेशक अपना बोरिया बिस्तर समेट रहे हैं। करीब दो दशक तक दुनिया का ग्रोथ इंजन रहे चीन से निवेशकों का मोह अब भंग होने लगा है। चीन की इकॉनमी में आने वाले वर्षों में लगातार गिरावट आने की आशंका है। माना जा रहा है कि रियल एस्टेट का संकट चीन की पूरी इकॉनमी को डुबो सकता है। चीन की जीडीपी में रियल एस्टेट की करीब 30 फीसदी हिस्सेदारी है। इस संकट का असर अब बैंकिंग सेक्टर पर भी दिखने लगा है।