Blog

राममंदिर ट्रस्ट के महासचिव चम्पत राय बोले- ‘अयोध्या में रोजाना 14 घंटे दर्शन जारी लेकिन ‘बालक राम’ को विश्राम की जरूरत’

Published

on

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चम्पत राय का कहना है कि अयोध्या के नवनिर्मित राम मंदिर में 22 जनवरी को प्राण-प्रतिष्ठा के बाद श्रद्धालुओं के सैलाब के मद्देनजर हर दिन 14 घंटे दर्शन की व्यवस्था जारी है लेकिन कई लोगों का मत है कि पांच साल के बालक के रूप में पूजे जाने वाले भगवान राम को बीच-बीच में अच्छी तरह विश्राम की भी आवश्यकता है। राय ने इंदौर में गुरुवार देर रात एक न्यूज एजेंसी से कहा कि फिलहाल अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने मंदिर में हर रोज करीब एक लाख लोग आ रहे हैं और श्रद्धालुओं का भारी दबाव घटाने के लिए 24 जनवरी के बाद से इस देवस्थान में हर रोज 14 घंटे दर्शन की व्यवस्था चल रही है।

‘लोगों का कहना है कि भगवान के बालक रूप को बीच में अच्छी तरह विश्राम की जरूरत’
न्यास महासचिव ने कहा कि अनेक लोगों का कहना है कि भगवान के बालक रूप को बीच में अच्छी तरह विश्राम की जरूरत है। आप भी सोचिए कि भगवान के बालक रूप को 14 घंटे जगाना कितना व्यावहारिक है?” उन्होंने कहा कि राम मंदिर के ऊपरी तलों, आयताकार परकोटे और इस परिसर के अन्य देवालयों का निर्माण किया जाना बाकी है और मंदिर का सारा काम संभवतः वर्ष 2025 के मध्य या 2025 की समाप्ति तक पूरा होने का अनुमान है। “रामलला के पटवारी” के रूप में प्रसिद्ध राय ने कहा कि राम मंदिर का शेष निर्माण कार्य उचित तालमेल बनाकर कुछ इस तरह पूरा किया जाएगा कि भक्तों को भगवान के दर्शन में कोई भी परेशानी न हो। उन्होंने कहा कि हम सुनिश्चित करेंगे कि मंदिर के शेष निर्माण कार्य और श्रद्धालुओं द्वारा भगवान के दर्शन में कोई भी बाधा न हो। इसके लिए हम इंजीनियरों के साथ बैठेंगे और सोच-समझकर फैसला करेंगे। न्यास महासचिव ने कहा कि अयोध्या में बड़ी तादाद में आ रही गाड़ियों की पार्किंग और श्रद्धालुओं के लिए किफायती किराये वाली जगहों का इंतजाम किया जाना बेहद आवश्यक है। राय, विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी हैं।

जानिए, ज्ञानवापी परिसर के कानूनी मसले में आ रहे मोड़ों पर क्या बोले चंपत राय?
वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के कानूनी मसले में आ रहे मोड़ों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि मैं इस विषय में अभी कुछ भी नहीं सोचता। मेरी दृष्टि बहुत स्पष्ट है। मैं समाज के किसी भी व्यक्ति की भावनाओं को चोट नहीं पहुंचा रहा हूं लेकिन दोपहर का खाना जब पच जाए, तब शाम को भोजन करना चाहिए, वरना कुपच हो जाता है। उन्होंने आगे कहा कि मैं समाज से कहूंगा कि अभी एक चीज को पूरी तरह स्थापित होने दो। बहुत अधिक जोश में बोलना और किसी काम को शांति से पूर्ण करना, इन दोनों बातों में बहुत अंतर है। वाराणसी की जिला अदालत द्वारा ज्ञानवापी परिसर स्थित व्यास जी के तहखाने में हिंदू पक्ष को पूजा-पाठ का अधिकार दिए जाने के बाद तहखाने को हाल ही में खोला गया था और उसमें पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई थी। इस तहखाने में पूजा-अर्चना स्‍थगित कराने के मुस्लिम पक्ष ने अर्जी दायर की है जिस पर सुनवाई के लिए अदालत ने 15 फरवरी की तारीख तय की है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Trending

Exit mobile version