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राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद युवाओं को दिख रहीं अयोध्या में रोजगार की अपार संभावनाएं- अनिल राजभर

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अयोध्या में भगवान श्री रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के बाद यहां रोजगार की अपार संभावनाएं दिखने लगी हैं और इस शहर के युवा भविष्य में मिलने वाले अवसर का लाभ उठाना चाहते हैं। देश की शीर्ष अदालत ने 2019 में जब अपने ऐतिहासिक फैसले में अयोध्या के विवादित स्थान पर राम मंदिर के निर्माण का आदेश दिया था, तब दिलीप पांडेय दिल्‍ली में एक कपड़ा फर्म में दर्जी का काम करते थे। अयोध्या के मूल निवासी, पांडेय 2020 में कोविड-19 की पहली लहर में अपने घर लौट आए थे और तभी उन्होंने अवसर को भांप लिया था तथा कभी वापस न लौटने का फैसला किया। प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में 22 जनवरी को अयोध्या में भगवान श्री रामलला के बाल स्वरूप के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा हुई और अब लाखों श्रद्धालु प्रतिदिन दर्शन के लिए यहां उमड़ रहे हैं।

दिलीप पांडेय वर्तमान में एक छोटी परिवहन कंपनी संचालित करते हैं जो देश के विभिन्न हिस्सों से अयोध्या आने वाले लोगों को आवागमन की सुविधा उपलब्‍ध कराती है। नवनिर्मित राम मंदिर के उद्घाटन के साथ पांडेय (28) ने अब अयोध्या आने वाले भक्तों की भीड़ की जरूरतों को पूरा करने के लिए व्यवसाय का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित किया है। पांडेय ने  बातचीत में कहा, “वर्तमान में मेरे पास तीन मध्यम आकार की वैन हैं, जिन्हें आगंतुक अयोध्या के चारों ओर यात्रा करने के लिए किराये पर लेते हैं। भक्तों की संख्या में वृद्धि के साथ, मैंने भक्तों के लिए दो एसयूवी खरीदने के लिए ऋण लेने की योजना बनाई है।” हालांकि पढ़ाई में रुचि होने के बावजूद उन्होंने नौकरी शुरू करने के लिए अयोध्या में कॉलेज के प्रथम वर्ष की पढ़ाई छोड़ दी। उन्होंने कहा, “कुछ साल पहले अयोध्या हमारे लिए कुछ पुराने मंदिरों से ज्यादा कुछ नहीं थी। मुझे यहां कोई अवसर नहीं दिख रहा था इसलिए काम की तलाश में यह जगह छोड़ने का फैसला किया। मुझे लगता है कि अब स्थिति बदल गई है।” पांडेय की तरह, मंदिर शहर के युवा भविष्य में मिलने वाले अवसर को देखते हैं और यहां इसका लाभ उठाना चाहते हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, सेवा उद्योग में विशेष रूप से पर्यटन से जुड़े क्षेत्रों में अवसर मौजूद हैं। स्थानीय लोगों को इसकी संभावना तब दिखी, जब प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के अगले दिन मंगलवार (23 जनवरी) को दुनिया भर से पांच लाख से अधिक भक्तों ने दर्शन किए। मंदिर ट्रस्ट के अधिकारियों के अनुसार, सप्ताह के अंत तक आगंतुकों की संख्या 10 लाख तक पहुंच गई। इस शहर के अधिकांश होटलों के कमरे मार्च तक आरक्षित हो गये हैं, जिससे विभिन्न हिस्सों से आने वाले लोगों को आसपास के जिलों बाराबंकी, बस्ती और यहां तक कि लखनऊ और गोरखपुर में आवास की तलाश करनी पड़ रही है।

आगंतुकों की संख्या में बढ़ोतरी को देखते हुए उप्र सरकार के श्रम और रोजगार मंत्री अनिल राजभर ने कहा, “अयोध्या अगले पांच वर्षों में आतिथ्य क्षेत्र से संबंधित लगभग पांच लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा करेगा।” राजभर ने कहा, “नौकरियों के अलावा युवाओं के लिए उद्यमी बनने और आगंतुकों या उनसे जुड़े उद्योगों की मांगों को पूरा करने के लिए छोटी कंपनियां स्थापित करने की भी बड़ी संभावना है।” मंत्री ने भरोसा दिया कि राज्य का श्रम और रोजगार विभाग युवाओं को रोजगार की सुविधा प्रदान करने के लिए अयोध्या में स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहा है। उन्‍होंने कहा कि “कर्मचारियों की आवश्यकता के संबंध में हम एक दर्जन से अधिक बड़े होटल ब्रांडों के साथ बातचीत कर रहे हैं जो या तो परिचालन में हैं या अगले कुछ वर्षों में परिचालन शुरू करेंगे। इसके अलावा स्थानीय प्रशासन जल्द ही विभिन्न स्थानों पर तदर्थ आधार पर लोगों को नियुक्त करने के लिए अभियान चलाएगा।”

 बीए अंतिम वर्ष के छात्र प्रभात गोंड, अयोध्या में फोटोग्राफी की एक छोटी दुकान चलाते हैं। उन्होंने इसे पिछले साल शौक के तौर पर शुरू किया था, लेकिन अब उनके पास पांच लोगों की टीम है। गोंड ने बताया, ‘‘हमारे पास मेरे और एक फोटो संपादक सहित चार फोटोग्राफर हैं। हम मुख्य रूप से बाहर से आने वाले आगंतुकों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और उन्हें फोटो और वीडियो से संबंधित सेवाएं प्रदान करते हैं।” पिछले साल स्नातक (विज्ञान) करने वाले संदीप तिवारी ने एक होटल प्रबंधन पाठ्यक्रम में दाखिला लिया है और पाठ्यक्रम पूरा करने के बाद एक होटल में शामिल होना चाहते हैं।

 तिवारी की तरह, अयोध्या में कामता प्रसाद सुंदरलाल पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के कई स्नातक छात्रों ने सेवा क्षेत्र के लिए खुद को तैयार करने के लिए स्पोकन इंग्लिश, आतिथ्य और यहां तक कि टूर ऑपरेटर के पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया है। कॉलेज से बीएससी स्नातक विद्यांत सिंह ने कहा, “मेरे एक रिश्तेदार एक टूर कंपनी के मालिक हैं और उन्हें किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत है जो विदेशी पर्यटकों के साथ अंग्रेजी में बातचीत कर सके। इसलिए मैंने कंपनी में शामिल होने के लिए छह महीने के स्पोकन इंग्लिश कोर्स में दाखिला लिया है।” कई युवाओं को शहर में आधिकारिक गाइड समेत विभिन्न क्षेत्रों में अंशकालिक रोजगार तत्काल मिला है। उन्नीस साल का ध्रुव शुक्ला भी गाइड का काम करता है, साथ ही वह श्रद्धालुओं को अन्य मंदिर भी लेकर जाता है। शुक्‍ला ने कहा, “मैं लता मंगेशकर चौक से आगंतुकों को ले जाता हूं और राम मंदिर में पूजा करने के बाद उन्हें हनुमानगढ़ी तथा अन्य मंदिरों के दर्शन कराता हूं।” शुक्‍ला आगंतुकों के प्रति समूह से 500 से 1000 के बीच शुल्क लेते हैं। एक कॉलेज छात्र, शुक्ला ने पर्यटकों के लिए पूर्णकालिक गाइड बनने से पहले अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने की योजना बनाई है।

Editor One

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